गुरासा म्हाने भवसागरिया सु तारो Gurusa mhane bhavsagariya su taro
भजन श्रेणी: गुरुवाणी
गायक: ध्रुराराम सेन
भाषा: हिंदी
दोहा
गुरासा म्हाने भवसागरिया सु तारो (भजन के बोल)
गुरुवाणी
जीव पढ़यो मारो अशुभ कर्म में,
माया रो बंधीयो भारो,
सोहन खार भरीयो पृथ्वी मे,
ज्यारो पकडो लारो |
गुरासा म्हाने भवसागरिया ऊं तारो ||
कीण ने केहू सुने कुण मेरी,
कीण आगे करु पुकारो,
गुरासा म्हाने भवसागरिया सु तारो ||
गुण है एक अवगुण घणा भरीया,
करनी रे सामी कोई भालो
मेरे पर मेंहर करो मेरे दाता,
हट कर हंस ऊबारो
गुरासा म्हाने भवसागरिया ऊं तारो ||
कीण ने केहू सुने कुण मेरी,
कीण आगे करु पुकारो,
गुरासा म्हाने भवसागरिया सु तारो ||
इन्द्र ज्यों आप मोर ज्यु मै हुँ,
बोलन रो हक है मारो
मारी बोली पर नही बरसो तो,
कोई लागे जोर हमारो गुरासा
गुरासा म्हाने भवसागरिया ऊं तारो ||
कीण ने केहू सुने कुण मेरी,
कीण आगे करु पुकारो,
गुरासा म्हाने भवसागरिया सु तारो ||
दुर्बल नौकर मै तो कहिजु राज रो,
चाहे मारो चाहे तारो
कहे ध्रुराराम सेन सतगुरु री,
दिल में दया विचारो गुरासा,
गुरासा म्हाने भवसागरिया ऊं तारो ||
कीण ने केहू सुने कुण मेरी,
कीण आगे करु पुकारो,
गुरासा भवसागरिया ऊं तारो ||
Gurusa mhane bhavsagariya su taro =GAYAK -DURARAM SEN
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