भर दो मायरो कोना रात पड़ गई | Bhar do mayro
भजन श्रेणी: नरसी मेहता भजन
गायक: पहलादसिंह चरण
भाषा: हिंदी
दोहा
“आंखडलिया काली पड़ी पंथ निहार निहार,
जीभडलिया छाला भया कृष्ण पुकार पुकार”
भर दो मायरो कोना रात पड़ गई(भजन के बोल)
नरसी मेहता भजन
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
रात पड़ गई रे कोना शाम पड़ गईं
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
भिलनी काई थारे बुआ लागे,
जिन रो झूठो खायो
ऊंच नीच रो भेद मिटायों,
रूस रूस भोग लगायो
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
कर्मा काई थारे काकी लागे ,
जिन रो खीचड़ खायो
काबलिया रो पर्दा कर ने ,
रूस रूस भोग लगायो
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
धना भगत काई सगो लागतो ,
जिन रो खेत नीपजायो
बीज बाट संतो तो दीआ,
बिना बीज नीपजायो
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
मीरा काई थारे मासी लागे,
विष रा प्याला पाया
विष प्याला अमृत पाया,
आप पावण ने आया
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
कबीर काई थारे काको लागे,
जिन घर बालद लाया
खांड खोपरा मिश्री मेवा,
आप वनदावा आया
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
केवे नरसीडो सुनो सावरा,
आणो वेतो आईजे
भरी सभा में भूड़ों लागे,
यू काई लाज गमावे
भर दो भर दो मायरो कोना रात पड़ गई
Bhar do mayro kona raat pad gyi =GAYAK -Pehladsingh Charan
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