वण व्यापारी मारा सतगुरु आया
Van vyapari mara satguru aaya
(भजन के बोल)
दोहा
“गुरु गोविंद दोनों खड़े कीण रे लागू पाए
बलिहारी गुरुदेव की म्हाने गोविंद बताए”
गुरु वाणी
वण व्यापारी मारा सतगुरु आया,
कोई कोई चीजों लाया रे,
लौंग सोपारी बीरा डोडा इलायची,
भारी भारी वस्तु लाया रे मन मेरा,
वणज करे मेरा भाई रे,
वणज करे वने लागे सौ गुणा,
आवागमन मिट जाय रे मन मेरा,
वणज करे मेरा भाई रे ||
लाई गुण वीरा नोकि चौक में,
हाटा बजारो माय रे,
सांचा जवेरी हीरा परखन लागा,
नुगरा तो परखे नहीं रे मन मेरा,
वणज करे मेरा भाई रे……..||
पांच तत्व री धडी बनाई,
निर्गुण डोडी माई रे,
ओम सोम दोय तोलन बैठा,
क्रूर कपट तो नाही रे,
वणज करे मेरा भाई रे……..||
रात दिन की 64 घड़ी है ,
पल भर बिचडु नाही रे
गुरु चरणों में माली लिकमोजी बोले,
खेल खजाना माय रे मनवा,
वणज करे मेरा भाई रे……..||
Van vyapari mara satguru aaya = Kantilal purohit
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