मुसाफिर मत ना भटके रे,
MUSAFIR MAT NA BHATKE RE
( भजन के बोल हिंदी में)

दोहा
“कबीर कमाई आप री,
कबहु ना निष्फल जाय
सौ कोशो पिसे धरु
मिले अगाड़ी आय ”

चेतावनी भजन

मुसाफिर मत ना भटके रे,
कारीगर मत ना भटके रे,
कर ले मालिक ने याद,
काम थारो कभी ना अटके रे

कारीगर ने पत्थर तोड़ियों,
पत्थर में पायो छेद,
छेद मे तो कीड़ी देखी,
मुख में दानों लटके रे
कारीगर मत ना भटके रे
कर ले मालिक ने याद,
काम थारो कभी ना अटके रे ||

कारीगर किरतार ने,
करण लागो है याद,
दौड़ बुढ़ापो आवसी ,
कदी भजु ला राम,
कारीगर मत ना भटके रे
कर ले मालिक ने याद,
काम थारो कभी ना अटके रे ||

जंगल में मंगल भया,
चरु दिया जमी दोत,
भगत के भगवान ने ,
बांधों धन रो पोट ,
कारीगर मत ना भटके रे,
कर ले मालिक ने याद,
काम थारो कभी ना अटके रे ||

चोरों ने चर्चा सुनी,
दिया चरू निकाल,
कर्म बिना धन कैसे पावे,
धन रा हो गया सांप,
कारीगर मत ना भटके रे,
कर ले मालिक ने याद,
काम थारो कभी ना अटके रे ||

चोरों ने छल किनी,
अपने मन रे माई रे ,
जाय पटको उन घर में ,
सांप उन्होंने खाय,
कारीगर मत ना भटके रे,
कर ले मालिक ने याद,
काम थारो कभी ना अटके रे ||

चोर चढ़िया छत ऊपर,
दियो छप्पर उजाड़ ,
माधु के धन देवो दाता,
देवो छप्पर फाड़,
कारीगर गिनले झटके रे,
कारीगर मत ना भटके रे,
कर ले मालिक ने याद,
काम थारो कभी ना अटके रे ||

MUSAFIR MAT NA BHATKE RE = sunita gowswami

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MUSAFIR MAT NA BHATKE RE |चेतावनी भजन

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