लागो कोनी उतरे रे हरी भजन रो रंग
LAGO KONI UTRE HARI BHAJAN RO RANG
(भजन हिंदी में)

दोहा :
“प्रेम बिना पावे नहीं
हुनर करो हजार
प्रीतम प्रेम बिना नहीं
मिलसी नन्द कुमार ”

देसी भजन

लागो कोनी उतरे रे,
हरी भजन रो रंग,
हरी भजन रो रंग संतो,
प्रेम भजन रो रंग,
लागो कोनी उतरे रे…||

पहलाद भक्त ने ऐसो,
लागो किया पिता ने तंग,
ले होली जलावन बैठी,
जल गया अपना अंग,
लागो कोनी उतरे रे…||

मीरा बाई ने ऐसो लागो,
पेहरिया हार भुजंग,
विष रा प्याला राणे भेजिया,
किनो साधुडा रो संग,
लागो कोनी उतरे रे…||

कर्मा लाई खिचड़ो रे,
तन मन रह गई दंग,
चारभुजा रा नाथ जिमिया,
ऐसो भक्तों रो है ढंग,
लागो कोनी उतरे रे…||

डूबतड़ो गजराज उबारियो,
जल चढ़ियों अथग़,
बाबूलाल गुरा रे चरणों,
एडा संतो है रंग,
लागो कोनी उतरे रे…||

LAGO KONI UTRE HARI BHAJAN RO RANG =GANESH BOSIYA

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