ओलू आप री आवे गुरासा
OLU APP RI AAVE GURASA

गुरु भजन

भजन श्रेणी: गुरु भजन
गायक: गोपाल पुरी
भाषा: हिंदी


दोहा

“सब धरती कागज करूँ,
लिखनी सब बनराय
सात समुद्र की मसि करूँ,
गुरु गुण लिखा न जाय”

ओलू आप री आवे गुरासा (भजन के बोल)

ओलू आप री आवे गुरासा,
ओलू आप री आवे
याद करु जद रो हृदय में ,
पल पल प्रेम सतावे,
ओलू आप री आवे गुरासा ||

चैत्र महीने चिंता घनेरी,
गुरु बिना कुण मिटावे,
दूजी दवाई म्हारे काम नी आवे,
शब्दो से रोग मिटावे,
गुरासा ओलू आप री आवे ||

वैशाख में भमरा ज्यु भटकु,
बाग नजर नहीं आवे,
खुल गया फूल लिपट गई कलियो,
भमर वासना लेवे
गुरासा ओलू आप री आवे ||

ज्येष्ठ महीनों गर्मी रो महीनों,
जल बिन जीव दुख पावे,
आप गुरूजी म्हारा इन्द्र स्वरूपी,
भर भर प्याला पावे
गुरासा ओलू आप री आवे ||

आषाढ़ महीने आशा घनेरी,
पपप्यो रॉल मचावे
पड़ीयो रो नीर म्हारे काम नी आवे,
अधर बूंद जेलावे
गुरासा ओलू आप री आवे ||

श्रावण महिने सायब घर आवे,
शया मंगल गावे,
मंगला सार बधावा गावे,
जाय गुरु ने बधावे ,
गुरासा ओलू आप री आवे ||

भाद्रवो भक्ति रो महीनों ,
गुरु बिना कुण चेतावे,
गिरधारी लाल प्रेम रा प्यासा,
भाग पूर्बला पावे,
गुरासा ओलू आप री आवे ||

“बोलो सतगुरु देव की जय”

OLU APP RI AAVE GURASA = GOPAL PURI

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