दोहा
DOHA
(भजन के बोल)

दोहा:-

“सतगुरु बादल प्रेम का,
मेरे पर बरसों आप,
अन्दर भीगे आत्मा,
गुरु हरियों वनराय”

“संत मिलया टले,
काल जाय जम छोड़
शीश नमाया गिर पड़े,
भाई लख पापों री कोट”

“लाल लंगोटा अद मणियां,
मुख में नागर पान,
लंका में वानर चले,
श्री अंजनी सूत हनुमान”

“चित्र कूट के घाट पर,
भाई संतो की है भीड़
तुलसी दास चंदन घिसें,
तिलक करे रघुवीर ”

“रामा मोरी राखजो,
अबके डोरी हाथ,
ओर कोई नहीं आश्रो,
प्रभु आप बिना रघुनाथ”

“मात पधारो शारदा,
होय हंस असवार,
आनंद करो इन शहर में तो,
गाओ मंगला चार”

“सरस्वती मात मनाए के,
गणपत ध्यान धरू,
गुरुदेव की आज्ञा पाए के,
पीछे भजन करु”

“सतगुरु मेरी आत्मा,
मैं संतो री देह,
रोम रोम में रम रहा,
ज्यों बादल मे मेह ”

“आंखडलिया काली पड़ी,
पंथ निहार निहार,
जीभडलिया छाला भया,
कृष्ण पुकार पुकार”

“मुरली वाले सावरा,
एक बार सामी देख ,
नैना में रमाय लू ज्यु,
काजल की रेख”

“खाली चुगलियों हाथ में,
उभी सरवर तीर,
भर चुगलियों घर जावसू,
मारो घर आवे रघुवीर”

भक्ति भाव से उपजे,
और न्ही भक्ति के वंश
हरिण्यकश्यप घर पहलाद,
जन्मियों तो राजा अग्रसेन घर कंस”

रामा कहु के राम देव,
हीरा कहु के लाल,
जिन्हीने मिलिया रामदेव,
भाई उन्हीने किया निहाल ”

“कबीर कमाई आप री,
कबहु ना निष्फल जाय,
सौ कोशो पिसे धरु,
मिले अगाड़ी आय ”

“कबीर सपने रैण के,
भयो कलेजे छेक,
जद सोवू जद दोय जणां,
जद जागूं जद एक”

“मंगला माया त्याग दे,
और हांडी लेले हाथ,
वरन छतरियों की माँग ले,
नहीं पूछनी जात”

“मंगला और हांडी उतम है,
धोने का काम नही,
हांणी लेले हाथ में और,
निर्भय जप ले राम।।”

“प्रेम बिना पावे नहीं,
हुनर करो हजार,
प्रीतम प्रेम बिना नहीं,
मिलसी नन्द कुमार”

“प्रीतम प्रीत लगाय के,
दुर देशा मत जाय ,
बसों हमारी नगरिया में ,
पिया हम मांगे तुम खाय”

“प्रीतम यू मत जानिए,
आप बिचड़िया मोहे चैन,
लोग जाने मैं मोती चुगू, ,
मैं पिया ने करु प्रणाम ”

“सावरा यू मत जानजे,
तुम बिछढ़िया मोहे रेण,
जैसे जल बिना माछ्ली,
वो तड़प रही दिन रेण”

DOHA = SANTO KE DOHE

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