इंद्र राजा म्हारी अरज साभलों | INDRA RAJA MHARI ARAJ SAMBHLO | रामदेवजी भजन

भजन श्रेणी: रामदेवजी भजन
गायक: ओमप्रकाश प्रजापत
भाषा: हिंदी / मारवाड़ी


दोहा

“रामा सामी आवजों
कलयुग बहुत करुण
अरज करु अजमल रा
हेलो सुनो नी जरूर”

इंद्र राजा म्हारी अरज साभलों (भजन के बोल)

इंद्र राजा म्हारी अरज साभलों रे,
आप रा वर्षीया ती मारा कारज चरे रे,
गायों वाली वेल पधारो इंद्र देवा रे ||

जेठ महीने पीरो वावलो वाज़े रे,
तपे तावडो धोम पड़े रे,
सात सायरीयो रा नीर परा सूखा रे,
नव खंडों में जणकार पड़े रे ||

आषाढ़ महीने तो पीरो अलख कर आशा रे,
कृषा ऊबा खरे रे मते रे,
धोरे धोरे तो वावो मोठ बाजरी,
पाले पाले ज्वार वावे रे ||

श्रावण महीने तो पीरो घेरों घेरों गाजे रे,
सूखा सरवर फेर भरे रे,
दादुर मोर पपीया घणा बोले रे,
आठों पोर आवाजों करे रे ||

भादरवा महीने तो पीरो भली कर आवो रे,
मुसलाधार मेहूडा बरसे रे,
नदी नाला तो पीरो आवे रे सौगुणा रे,
गायों ऊबी हरियो घास चरे रे ||

आशोजी महीने पीरो अमृत मेहूडा रे,
अमी फूआरो री छोट पड़े रे,
सीप सायरियों रा मोती डा नीपजे रे,
दरीयो उन्भो शकाल करे रे ||

कार्तिक महीने पीरो लोध लावणी रे,
धरती माते हाथ धरे रे,
अन्न धन पीरजी बढ़े रे सौगुणा रे,
कण कण सु कोठार भरे रे ||

म्हारी रे अरज पीरो वेगा रे पधारो रे,
लीले घोड़े हिस करे रे,
हरि रे चरणो में भाटी हरजी बोले रे,
भव तपिया भगवान मिले रे ||

इंद्र राजा म्हारी अरज साभलों रे,
आप रा वर्षीया ती मारा कारज चरे रे,
गायों वाली वेल पधारो इंद्र देवा रे ||

INDRA RAJA MHARI ARAJ SAMBHLO = OMPRAKASH PRAJPAT

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